Tuesday 30 July 2013

तुम पुकार लेना मेरा नाम

                                          तुम पुकार लेना मेरा नाम


किसी शहर कि भागती भीड़ में जो एक खामोश चेहरा दिखाई पड़े,
थो शायद मेरा ही होगा वो , तुम पुकार लेना मेरा नाम...!!!

किसी गाँव के खेत में जो यूँ ही घूमते दिखे कोइ,
बेफिक्र , शांत वो मैं ही हौंगा , तुम पुकार लेना मेरा नाम...!!!

किसी शाम को नदि किनारे रेत में बैठे हुए,
कोई डूबते सूरज को निहार्ता दिखाई पड़े
थो वो मैं ही हौंगा,तुम पुकार लेना मेरा नाम...!!!

सावन कि एक बारिश में,
किसी मैदान के बीच में कोई भीगता नाच्ता दिखाई पड़े,
थो वो मैं ही हौंगा, तुम पुकार लेना  मेरा नाम...!!!

किसी मंदिर के दरवाजे पर कोई भक्त,
अकेले भजन गाता सुनाई पड़े,
थो वो आवाज़ मेरी ही होगी,तुम पुकार लेना मेरा नाम...!!!

कोई भटकता हुआ यात्री,
राह् खोजता फिरे लेते हुए तेरा नाम,
वो मैं ही हौंगा, तुम पुकार लेना मेरा नाम...!!!

कभी यूँ ही मिलने का मन करे या याद आए.
थो बस तुम पुकार लेना मेरा नाम.
मैं वहीं हौंगा तुम्हारे आस् पास.
शायद हवा कि ठंडक में या मिट्‍टी कि महक में,
बारिश के पानी में या या आग कि लपट में.
मैं पास ही हौंगा तुम्हारे.
बस तुम पुकार लेना मेरा नाम...!!!



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